Wednesday 17 February 2016

भूत और वर्तमान का मंथन- भारत का भविष्य

धर्म और राष्ट्रप्रेम ( love for the MotherLand ) इंसान की सबसे बड़ी कमजोरी है। भारत में रहने वाले हिन्दू भी इससे अछूता नहीं है। बसुधैव कुटुम्बकम् के सिद्धांत में विस्वास करने वाली हिन्दू समाज अपनी उदार सोच के कारण विधर्मियों और अन्तर्राष्ट्रवादियों के हमलों के कारण कट्टर हो जाये तो किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए। हिंदुओं को याद है कि किस तरह अफगानिस्तान से वर्मा ( चन्द्रगुप्त काल ) तक की साम्राज्य के पूर्वी और पश्चिमी हिस्से अलग हो गए। उसकी इसी सर्वधर्म समभाव का फायदा उठा कर मुगलों और अंग्रेजों ने इस देश के टुकड़े टुकड़े कर दिए। लेकिन अब समय आ गया है कि या तो भारत अपनी एकता और सुरक्षा के लिए इस्रायल और अमेरिका की राह पर चले जो अपने देश के दुश्मनों को ढूंढ कर मारती है या फिर से उस दौर में पहुँचने के लिए तैयार रहे जब उससे जज़िया वसूल कर के भी क़त्ल कर दिया जाता था और उसकी औरतों और बच्चों को गुलाम बना लिया जाता था। एक अनुमान के अनुसार मुग़ल काल के सुरुआत में कम से कम बीस लाख लोगों ने इसलिये जान गँवाई क्योकि उन्हें धर्म से च्युत होना मंजूर नहीं था। सिखों समेत बोद्धों और दलितों का सबसे ज्यादा जान और मान मर्दन हुआ। एक अध्ययन के अनुसार हिंदुस्तान पाकिस्तान और बंगला देश की पूरी इस्लामिक आबादी का एक प्रतिशत भी स्वेक्षा से इस्लाम में परिवर्तित नहीं हुआ है। एक आपाधापी और अपराधिक माहौल में ऊगा हुआ जमात ना तो मुसलमान हो पाया ना ही हिन्दू रहा। चूँकि पूरे मुग़ल काल में शांति कभी भी स्थापित हो ही नहीं पायी। पश्चिम में राणा प्रताप से लेकर क्षत्रपति शिवाजी महाराज तक ने मुग़लों को इस देश में बसने का अवसर ही नहीं दिया। ऐसे युद्ध ग्रस्त देशो मेंं, जहाँ शासक सेनापति के रूप में ही ब्यस्त रहता है वैसे देशो में ऐसी आबादी पैदा होती रहीं हैं। यहूदियों के सफाये का कारण भी उनकी अति उदारवादी और आत्मवालोचक दृष्टिकोण को माना जाता है। यूरोप और मध्य एशिया में ईसाईयत और इस्लाम के हिंसक आँधी से बेखबर यहूदी समाज अपने आप में बुद्धिजीवी और सभ्य होने का अभिमान पाले रहा और परिणाम यह हुआ कि उसकी आधी आबादी का सफाया हो गया। कालान्तर में अगर येरूसलम को सुरक्षित रखने के लिए उन्होंने अपनी आतंरिक और बाह्य सुरक्षा नीति को कठोर नहीं बनाया होता तो वो कब का फ़तह कर लिया गया होता और अब तक दार-अल-इस्लाम ( सीरिया, ईरान, पाकिस्तान और अफगानिस्तान ) बन गया होता। अभी भी समय है इस देश के लोगों को बीजेपी और आरएसएस के क्षमता और ईक्षाशक्ति का मूल्यांकन करना पड़ेगा और आवश्यक होने पर एक विकल्प के निर्माण के लिए भी तैयार रहना पड़ेगा। राजेश के श्रीवास्तव वसंत नगरी वसई पु.।

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